सावन की वो पहली बारिश: एक रूहानी प्रेम कथा

जुलाई का महीना था और आसमान में काले बादलों ने डेरा डाल रखा था। रात के 10 बज चुके थे, लेकिन विक्रम अभी तक खेतों से नहीं लौटा था। हवेली के बड़े से कमरे में सुमन खिड़की के पास खड़ी थी। बाहर तेज हवाओं के कारण पुराने पेड़ झूम रहे थे और बिजली की गड़गड़ाहट सन्नाटे को चीर रही थी।

सुमन की शादी को अभी बस दो हफ्ते ही हुए थे। यह एक पारंपरिक शादी थी। विक्रम स्वभाव से बेहद गंभीर और कम बोलने वाला इंसान था। इन पंद्रह दिनों में उनके बीच बस ज़रूरी बातें ही हुई थीं— “खाना खा लिया?”, “मैं जा रहा हूँ”, “सो जाओ”। लेकिन सुमन की आँखों ने विक्रम की आँखों में एक अनकहा सा अपनापन देखा था, जो अभी जुबां तक नहीं आया था।

तूफान और दस्तक

अचानक बारिश मूसलाधार होने लगी। बूंदें खिड़की के कांच पर किसी संगीत की तरह बजने लगीं। तभी नीचे मुख्य द्वार पर जंजीर खड़कने की आवाज़ आई। सुमन का दिल ज़ोर से धड़का। वह दौड़ी हुई नीचे गई और भारी दरवाज़ा खोला।

सामने विक्रम खड़ा था, बारिश में पूरी तरह भीगा हुआ। उसका सफेद कुर्ता बदन से चिपका हुआ था और बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं। ठंडी हवा के झोंके अंदर आए, जिससे सुमन की साड़ी का पल्लू लहरा गया। उसने कांपते हाथों से पल्लू संभाला और विक्रम को अंदर आने का रास्ता दिया।

“आप इतना भीग गए हैं! रुक नहीं सकते थे कहीं?” सुमन के स्वर में पहली बार पत्नी वाला अधिकार और चिंता थी।

विक्रम ने अपने गीले बाल पीछे किए और गहरी आवाज़ में कहा, “तुम्हें डर लगता है न बिजली से… इसलिए चला आया।”

वह एक वाक्य सुमन के दिल में उतर गया। वह जानती थी कि उसे बिजली से डर लगता है, लेकिन विक्रम ने यह कब नोटिस किया? उसने तो कभी बताया भी नहीं था। उस पल सुमन को अहसास हुआ कि प्रेम सिर्फ़ कहने का नाम नहीं, महसूस करने का नाम है।

दीये की रोशनी और नज़दीकियाँ

विक्रम कपड़े बदलने के लिए कमरे में गया। तभी, जैसा अक्सर गाँवों में बारिश के दौरान होता है, बिजली चली गई। पूरा घर अंधेरे में डूब गया। सुमन जल्दी से रसोई से एक पीतल का दीया और माचिस लेकर कमरे में आई।

दीये की मद्धम पीली रोशनी में कमरा किसी पुरानी पेंटिंग जैसा सुंदर लग रहा था। विक्रम अभी तौलिये से बाल पोंछ ही रहा था। सुमन ने देखा कि उसकी पीठ पर बारिश की बूंदें अभी भी चमक रही थीं।

वह धीरे-धीरे विक्रम के पास गई। “लाइए, मैं पोंछ देती हूँ,” उसने संकोच से कहा।

विक्रम रुका। उसने मुड़कर सुमन को देखा। दीये की लौ में सुमन का चेहरा दमक रहा था। माथे की छोटी बिंदी और गीली लटें जो उसके गालों पर आ गिरी थीं। विक्रम ने बिना कुछ कहे तौलिया सुमन के हाथ में दे दिया।

सुमन उसके बाल पोंछने लगी। कमरे में सिर्फ़ दो आवाज़ें थीं—बाहर बारिश का शोर और अंदर दोनों की धड़कनें। विक्रम की सांसों की गर्माहट सुमन अपनी कलाइयों पर महसूस कर सकती थी। जैसे-जैसे वह उसके बालों में उंगलियां फिरा रही थी, एक अजीब सा नशा फिज़ा में घुल रहा था।

स्पर्श की भाषा

अचानक, बादलों के ज़ोर से गरजने की आवाज़ हुई। सुमन डर के मारे सिहर उठी और अनजाने में विक्रम के कंधे को कसकर पकड़ लिया।

विक्रम ने तुरंत उसके हाथ के ऊपर अपना मजबूत हाथ रख दिया। वह स्पर्श… वह स्पर्श आग और ठंडक का मिला-जुला अहसास था। विक्रम घूमा और अब दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब थे। इतनी करीब कि सांसें टकरा रही थीं।

“डर लग रहा है?” विक्रम ने फुसफुसाते हुए पूछा। उसकी आवाज़ में एक गजब की कशिश थी।

सुमन ने ना में सिर हिलाया, लेकिन उसकी झुकी हुई पलकें कुछ और ही कह रही थीं। विक्रम ने धीरे से अपनी उंगली से सुमन की ठोड़ी (chin) को ऊपर उठाया। सुमन ने अपनी बड़ी-बड़ी हिरनी जैसी आँखें ऊपर उठाईं। उस पल, दुनिया की सारी बातें बेमानी हो गईं।

विक्रम ने झुककर सुमन के माथे को चूम लिया। वह चुंबन वासना का नहीं, बल्कि संरक्षण और समर्पण का था। सुमन ने अपनी आँखें मूंद लीं। उसे लगा जैसे बरसों की प्यासी धरती को पहली बारिश मिल गई हो। उसने अपना सिर विक्रम के सीने पर रख दिया। विक्रम ने उसे अपनी बांहों में भर लिया—एक अटूट घेरा जिससे दुनिया का कोई तूफ़ान उसे छू नहीं सकता था।

मिलन

बाहर बारिश अब भी जारी थी, लेकिन अब वह शोर नहीं लग रही थी। वह एक राग बन गई थी। उस रात, शब्दों की ज़रूरत नहीं पड़ी। उनकी नज़रों ने, उनके स्पर्श ने और उनकी खामोशी ने प्रेम की वह Desi Kahani in Hindi लिख दी, जो किताबों में नहीं मिलती।

उस रात सुमन को पता चला कि उसका पति सिर्फ़ एक जिम्मेदार आदमी नहीं, बल्कि एक बेहद भावुक प्रेमी भी है। और विक्रम ने जाना कि उसकी पत्नी की सादगी ही उसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है।

दीये की लौ फड़फड़ाकर बुझ गई, लेकिन उनके प्रेम का उजाला अब जीवन भर के लिए जल चुका था।


निष्कर्ष

प्रेम हमेशा चीखकर नहीं जताया जाता। कभी-कभी एक परवाह भरा वाक्य, एक माथे का चुंबन और बारिश में भीगते हुए घर लौटना ही सबसे बड़ा “आई लव यू” होता है। यह कहानी हमें बताती है कि भारतीय परिवेश और मर्यादा में रहकर भी रोमांस कितना गहरा और नशीला हो सकता है।