पंचतंत्र की कहानी: लोमड़ी और ढोल

एक दिन, गोमाया नाम का एक सियार बहुत भूखा था, और खाने की तलाश में इधर-उधर भटक रहा था।

सियार और ढोल – पंचतंत्र कहानी की तस्वीर कुछ समय बाद, वह उस जंगल से बाहर निकल गया जहाँ वह रहता था, और एक सुनसान युद्ध के मैदान में पहुँच गया।

इस सुनसान युद्ध के मैदान में, हाल ही में एक लड़ाई हुई थी। लड़ने वाली सेनाएँ एक ढोल छोड़ गई थीं, जो एक पेड़ के पास पड़ा था।

जैसे ही तेज़ हवा चली, पेड़ की डालियाँ ढोल से रगड़ने लगीं। इससे एक अजीब आवाज़ आई।

जब सियार ने यह आवाज़ सुनी, तो वह बहुत डर गया और भागने के बारे में सोचने लगा, “अगर मैं यह आवाज़ करने वाले व्यक्ति के देखने से पहले यहाँ से नहीं भागा, तो मैं मुसीबत में पड़ जाऊँगा”।

सियार और ढोल – पंचतंत्र कहानी की तस्वीर जैसे ही वह भागने वाला था, उसने दोबारा सोचा। “बिना जाने किसी चीज़ से भागना मूर्खता है। इसके बजाय, मुझे इस आवाज़ के स्रोत का पता लगाने में सावधान रहना चाहिए”।

उसने हिम्मत करके सावधानी से आगे बढ़ने का फैसला किया। जब उसने ढोल देखा, तो उसे एहसास हुआ कि यह सिर्फ़ हवा थी जो सारी आवाज़ कर रही थी।

उसने खाने की तलाश जारी रखी, और ढोल के पास उसे काफ़ी खाना और पानी मिल गया।

समझदार लोग सच ही कहते हैं:
जीवन में केवल बहादुर ही सफल होते हैं।