प्रेमी का धोखा: अनकही गर्भावस्था की कथा
सिया एक साधारण-सी लड़की थी, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे। छोटे शहर से निकलकर वह कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर आई थी। नई दुनिया, नए लोग और ढेर सारी उम्मीदें—यहीं उसकी मुलाक़ात आरव से हुई।
आरव में एक अलग ही आकर्षण था। उसकी बातों में अपनापन और आँखों में भरोसा। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। वह अक्सर कहता—
“मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा, चाहे हालात कैसे भी हों।”
सिया ने उन शब्दों पर आँख बंद कर विश्वास कर लिया।
समय बीतता गया और रिश्ता और गहरा होता गया। लेकिन कुछ महीनों बाद सिया को अपने शरीर में अजीब बदलाव महसूस होने लगे। डरते-डरते जब उसने डॉक्टर की रिपोर्ट देखी, तो उसकी साँसें थम-सी गईं।
वह गर्भवती थी।
उस रात उसने काँपते हाथों से आरव को फोन किया। काफी देर तक वह चुप रहा, फिर बोला—
“अभी मेरा करियर सबसे ज़रूरी है… तुम समझने की कोशिश करो।”
उस दिन के बाद आरव बदल गया। कॉल कम हो गए, मैसेज अधूरे रहने लगे। और फिर एक दिन—वह पूरी तरह गायब हो गया।
सिया अकेली रह गई— एक ऐसे सच के साथ जिसे वह किसी से कह नहीं पा रही थी।
समाज का डर, परिवार की इज़्ज़त और पेट में पल रहा जीवन— सब मिलकर उसे अंदर से तोड़ रहे थे।
कई रातें उसने रोते हुए बिताईं। अपने पेट पर हाथ रखकर वह धीरे से कहती—
“तुम्हारी कोई गलती नहीं है… गलती मेरे भरोसे की थी।”
आख़िरकार उसने हिम्मत जुटाई और अपने माता-पिता को सच बताया। आँसू, गुस्सा और सवाल—सब कुछ हुआ। लेकिन अंत में उसे मिला वह सहारा, जिसकी उसे सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी।
परिवार का साथ।
आरव कभी वापस नहीं आया। लेकिन सिया ने अपने भीतर एक नई ताक़त को जन्म लेते महसूस किया।
आज वह सिर्फ़ एक धोखा खाई प्रेमिका नहीं थी। वह एक माँ थी— और एक ऐसी औरत जो टूटकर भी खुद को जोड़ना सीख गई।
कभी-कभी प्यार हमें तोड़ देता है, लेकिन वही टूटन हमें खुद से मिलाती भी है।
✦ यह कहानी सामाजिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर लिखी गई है। ✦ किसी भी पात्र या घटना का वास्तविक जीवन से सीधा संबंध नहीं है।
