पंचतंत्र की कहानी: नीला सियार

एक तूफ़ानी रात में, एक भूखा सियार खाना ढूंढते हुए एक गाँव में भटक गया। ज़ोरों की बारिश हो रही थी, और आसमान में बिजली कड़क रही थी। कुत्तों के भौंकने से डरकर, सियार छिपने के लिए भागा और पास की एक झोपड़ी में कूद गया – सीधा एक कपड़े रंगने वाले के नीले रंग के बड़े टब में!

जब तूफ़ान गुज़रा और वह बाहर निकला, तो सभी जानवर उसे हैरानी से देखने लगे। उसके बाल चमकदार नीले रंग के हो गए थे!

“यह अजीब, चमकने वाला जीव कौन है?” हिरण ने फुसफुसाया। “शायद इसे भगवान ने भेजा है!” मोर ने झुकते हुए कहा।

उनका डर देखकर, सियार ने अपनी छाती फुलाई और गर्व से कहा, “हाँ, मैं स्वर्ग से भेजा गया राजा हूँ। अब से तुम मेरी बात मानोगे!”
एक गहरी नदी का दृश्य

जानवरों ने उस पर विश्वास कर लिया। उन्होंने उसे राजा बनाया और उसे फल और मांस खिलाया। नीला सियार एक पेड़ के नीचे शान से बैठा, समझदार होने का नाटक कर रहा था।

लेकिन एक रात, उसने दूर से दूसरे सियारों के चिल्लाने की आवाज़ सुनी। खुद को भूलकर, उसने अपना सिर उठाया और वह भी चिल्लाया – “आऊऊ!”

तुरंत, जानवरों को सच्चाई पता चल गई। “यह कोई भगवान का भेजा हुआ जीव नहीं है! यह तो बस एक भेस बदला हुआ सियार है!” वे चिल्लाए, और उसे जंगल से बाहर भगा दिया।

नीला सियार अपनी जान बचाने के लिए भागा, और फिर कभी वापस नहीं आया।
✨ कहानी की सीख

जो तुम नहीं हो, वैसा बनने का नाटक करने से तुम्हारा ही नुकसान होगा।